द्वारका समुद्रतट से सूर्यास्त दर्शन
यदि आप द्वारका के सर्वोत्तम सूर्यास्त दर्शन की अभिलाषा रखते हैं तो समय पर बडकेश्वर महादेव मंदिर पहुंचें। सूर्यास्त देखने योग्य यह सर्वोत्तम स्थल एक छोटा सा प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर जहां स्थित है वह किसी काल में एक छोटा द्वीप रहा होगा। वर्तमान में आप यहाँ तक आसानी से चलकर आ सकते हैं तथा समुद्र में समाते सूर्य का अबाधित दर्शन कर सकते हैं।

गोमती आरती

आप सबने काशी, ऋषिकेश तथा हरिद्वार में होने वाली गंगा आरती के विषय में अवश्य सुना व देखा होगा। ठीक उसी प्रकार की आरती द्वारका में गोमती नदी के तट पर की जाती है। हालांकि यह आरती उतने भव्य स्तर पर नहीं होती। इस आरती को कुल १० मिनट से भी कम समय लगता है। गोमती घाट पर स्थित गोमती मंदिर में जाकर आप इस आरती के सही समय की जानकारी ले लें।
द्वारका के पीठासीन देव-देवताओं के दर्शन

द्वारका शब्द से आप सबने यह अनुमान लगा लिया होगा कि द्वारकाधीश अर्थात् कृष्ण यहाँ के पीठासीन देव हैं। किन्तु यह पूर्णतः सत्य नहीं है। कृष्ण द्वारका के राजा थे तथा उनकी इसी रूप में आराधना की जाती है। यहाँ के पीठासीन देव वे हैं जो कृष्ण द्वारा द्वारका को नवीन राजधानी घोषित करने से भी पूर्व यहाँ पूजे जाते थे। अर्थात् सिद्धेश्वर महादेव के रूप में भगवान् शिव तथा माँ भद्रकाली के रूप में उनकी शक्ति।
वर्तमान में उनके मंदिर सादे व छोटे से हैं जो सहज ही आपको दिखाई नहीं देंगे। उन तक पहुँचने के लिए आपको कुछ स्थानीय लोगों की सहायता लेनी पड़ सकती है। वहां पहुंचकर आपकी मेहनत सफल हो जायेगी। सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में संध्या के समय दीपों को प्रज्ज्वलित करने की एक सुन्दर प्रथा है। मंदिर के समीप एक प्राचीन बावडी भी है। भद्रकाली मंदिर मुख्य सड़क पर स्थित है तथा कई अन्य मंदिरों से घिरी हुई है।
शारदा पीठ के दर्शन
द्वारका उन चार सौभाग्यशाली नगरियों में से एक है जहां आदि शंकराचार्य ने पीठ की स्थापना की थी। द्वारकाधीश मंदिर परिसर के भीतर स्थित इस पीठ के अंतर्गत एक सुन्दर मंदिर तथा कुछ अप्रतिम पुस्तकालय हैं। इनके साथ साथ आप यहाँ कुछ अत्यंत ज्ञानी व्यक्तियों से भी भेंट कर सकते हैं।
द्वारका के अन्य मंदिर
द्वारका नगरी के कुछ अन्य मनभावन मंदिर इस प्रकार हैं:-
• स्वामीनारायण मंदिर
• ISCKON मंदिर
• गायत्री देवी मंदिर
• शंकराचार्य मंदिर –इन दिनों यह में खँडहर में परिवर्तित हो गया है, फिर भी आप इस प्राचीन संरचना के अवशेष देख सकते हैं।
• मीराबाई का मंदिर जो समुद्र नारायण मंदिर परिसर के भीतर स्थित है।
आप द्वारका के रास्तों पर यूँ ही पैदल चलिए। प्रत्येक क्षण आपका परिचय एक नवीन अनुभूति से होगा, यह मेरा दावा है।