द्वारका नगरी से कदाचित ही कोई अनभिज्ञ होगा। यह एक प्राचीन नगरी है जो पौराणिक कथाओं से परिपूर्ण है। द्वारका में आप जहां भी जाएँ, ये सब कथाएं आपके समक्ष पुनः पुनः सजीव होती चली जाती हैं। गोमती नदी के तीर पर बसी यह देवनगरी पर्यटकों तथा तीर्थयात्रियों हेतु स्वर्ग सदृश है।

क्या आप जानते हैं कि द्वारका का इतिहास महाभारत काल से भी प्राचीन है? जानकारी अनुसार, ज्ञात प्राचीनतम काल से यह नगरी अनवरत बसी हुई है। द्वारका नगरी धार्मिक पर्यटन हेतु भले ही अधिक प्रसिद्ध हो, प्राचीन ऐतिहासिक स्मारकों में रूचि रखने वाले पर्यटकों के लिए भी यह अद्भुत स्थल है। इस नगरी में इतिहास की विभिन्न परतों को देख आप अचंभित रह जायेंगे।
यूँ तो द्वारका के दर्शनीय स्थलों की लम्बी सूची में वरीयता निश्चित करना उचित नहीं, किन्तु उन सब के दर्शन एक यात्रा में पूर्ण करना भी संभव नहीं है। अतः इन संस्मरण में मैं आपके समक्ष द्वारका नगरी के इन १५ दर्शनीय स्थलों की सूची का सुझाव रख रहे है जिन्हें आप अपनी आगामी यात्रा के समय देख सकते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर

अधिकतर पर्यटक इसी मंदिर के दर्शन करने द्वारका आते हैं। क्यों न हो? यह मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण व आकर्षक है। आप इस मंदिर में प्रातःकाल एवं संध्याकाल, दोनों समय कम से कम एक एक दर्शन अवश्य करें।
द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजारोहण
द्वारकाधीश मंदिर का ५२ गज लंबा ध्वज दिन में ५ बार बदला जाता है, ३ बार प्रातःकाल तथा २ बार संध्याकाल में। प्रत्येक बार भिन्न भिन्न भक्त परिवार पर यह ध्वज, जो आदर से यहाँ ध्वजजी कहलाते है, अर्पित करने का उत्तरदायित्व होता है। उल्हासित परिवार नाचते गाते उत्सव मनाते ध्वजजी को लेकर आता है। गुग्गली ब्राम्हण, मंदिर के शिखर पर चढ़कर ध्वजारोहण करते है। और जैसे ही ध्वज हवा में फड़फड़ता है, चारों ओर खड़े भक्तगण जयजयकार कर इसका स्वागत करते हैं। आप जब भी यहाँ आयेंगे, यह दृश्य आपको अवश्य मंत्रमुग्ध कर देगा।
रुक्मिणी मंदिर

रुक्मिणी द्वारका एवं द्वारकाधीश की रानी थी। अतः आप द्वारका आयें तथा उनके दर्शन ना करें, यह कैसे हो सकता है। वैसे भी कहा जाता है कि उनके मंदिर के दर्शन बिना द्वारका दर्शन अपूर्ण है।
तुलाभार

छोटे छोटे मंदिरों से भरे गोमती नदी के तट पर आप ऐसा ही एक विशाल तुलाभार देखेंगे। छत से लटके इस तुलाभार के एक पलड़े पर कोई मनुष्य तथा दूसरे पलड़े पर अनाज रखा पायेंगे। तुलाभार द्वारा भक्तगण अपने वजन के बराबर अनाज दान कर ईश्वर के प्रति अपने प्रेम व श्रद्धा को व्यक्त करते हैं।
गोमती नदी के किनारे ऊँट की सवारी
गोमती नदी के एक तट की ओर देखें, तो आप सम्पूर्ण तट मंदिरों तथा घाटों से भरा हुआ पायेंगे। वहीं दूसरा किनारा आपको रेतीला दृष्टिगोचर होगा जिसके एक छोटे से भाग को बालू-तट के रूप में परिवर्तित किया गया है। नदी के इन दोनों किनारों पर आप ऊँट की सवारी का आनंद उठा सकते हैं।

गोमती नदी पर निर्मित सुदामा सेतु से सूर्योदय दर्शन
द्वारका एक ऐसा अद्भुत स्थल है जहां से आप सूर्योदय तथा सूर्यास्त दोनों के तेजस्वी व मोहक दर्शन एक ही स्थान से कर सकते हैं।

मनमोहक सूर्योदय के विलक्षण दर्शन पाने के लिए सुदामा सेतु से उत्तम स्थान दूसरा नहीं। गोमती नदी के दोनों किनारों को जोड़ता, मोटे लोहे के रस्सों से बंधा यह सेतु, रिलायंस समूह द्वारा निर्मित, अपेक्षाकृत नवीन है। केवल एक तथ्य ध्यान में रखिये कि इसपर चढ़ने के लिये टिकट खरीदने की आवश्यकता है। अतः प्रातःकाल टिकट खिड़की खुलने की प्रतीक्षा आपको अवश्य करनी पड़ेगी। विश्वास रखिये, आप निराश नहीं होंगे।
आगे इस अहेवाल का पार्ट – २ आयेगा आप कोमेन्ट बोकस में कोमेन्ट ज़रूर करे ओर आपको कैसा लगा जरुर बताये तो हमें भी इसी तरह आपके लिए लिखने की शक्ती मिलेंगी ।