प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जून की गलवान घाटी संघर्ष में घायल हुए सैनिकों से मुलाकात की और वीर जवानों को संदेश देते हुए कहा कि आपके साहस को दुनिया ने देखा है।

रामधारी सिंह दिनकर ने यह कविता उन वीरों को समर्पित कर लिखी थी जिन्होंने अपना सर्वस्व इस देश पर न्योछावर कर दिया लेकिन अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लेह में अपने संबोधन में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कालजयी कविता ‘कलम आज उनकी जय बोल’ का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- ‘जिनके सिंहनाद से सहमी…धरती रही अभी तक डोल…कलम, आज उनकी जय बोल…। रामधारी सिंह दिनकर ने यह कविता उन वीरों को समर्पित कर लिखी थी जिन्होंने अपना सर्वस्व इस देश पर न्योछावर कर दिया लेकिन अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा। इसी कविता में दिनकर ने लिखा है।
जला अस्थियां बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी
जो चढ़ गये पुण्य वेदी पर
लिए बिन गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अचानक लेह का दौरा किया और यहां सैनिकों को संबोधित भी किया। उन्होंने सैनिकों से कहा कि आपकी इच्छाशक्ति हिमालय की तरह मजबूत और अटल है, देश को आप पर गर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सशस्त्र बलों की जरूरतों पर पूरा ध्यान दे रहे हैं।
उन्होंने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया है; यह विकास का समय है। इसी संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी की इन पंक्तियों को सुनाकर सैनिकों का मनोबल बढ़ाया।
